शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

741 . दिग देल अरुण किरण परगास। आरति लाओब परशिव पास।।


                                      ७४१
दिग देल अरुण किरण परगास। आरति लाओब परशिव पास।।
रे रे भवानी शरण तोहारि। जननि कृपा करू भवभय तारि।।
दिन दश लागि करब बहु बात। ममतामोह भरम मदमात।।
परशिव वरिय सुधारस सार। अलि पद सरसिज भेदए पार।।
ऊग कलारवि दिगरस वेद। चाँद सुरुज खेल , पवनक भेद।।
विहि आसने गुण महानिसि सेव। गगनविन्दु रस शशिकर देव।।
नृप जगज्योति एहो रस गावे।  गुरु परसाद परम लए पावे।।
                                               ( गीतपञ्चारिका )  

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