शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

734 . जय भगवती वरदायिनी मा मंगले मंगल करू


                                      ७३४
जय भगवती वरदायिनी मा मंगले मंगल करू 
जय शिवप्रिये शंकर प्रिये मा मंगले मंगल करू। 
जय अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके मंगल करू।।
अनन्त शक्तिशालिनी अमोघ शस्त्रधारिणी। 
निशुम्भ - शुम्भ मर्दिनी त्रिशुलचक्र पायनी ,
हे ईश्वरी , परमेश्वरी रामेश्वरी मंगल करू।।
करात मुख कपालिनी विशाल मुण्डमालिनी ,
असीम कष्ट हारिणी त्रिमूर्ति सृष्टि धारिणी ,
दुःखहारिणी सुखदायिनी हे पार्वती मंगल करू।।
प्राकृत तुहीं साकृत तुहीं दया तुहीं क्षमा तुहीं ,
प्रथा तुहीं छटा तुहीं शुभा तुहीं कला तुहीं ,
हे ललित शक्तिप्रदायिनी सिद्धेश्वरी मंगल करू।।
                                                    अज्ञात कविक  

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