मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

731 . हे माय अहाँ बिनु आश ककर


                                      ७३१ 
                     हे माय अहाँ बिनु आश ककर
जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर , हे माय अहाँ बिनु आश ककर ? 
जं माय अहाँ दुःख नहि सुनबइ , तँ जाय कहु ककरा कहबइ ?
करू माफ़ जननि अपराध हमर , हे माय अहाँ बिनु आश ककर ?
हम भरि जग सँ ठोकरायल  छी , माँ अहींक शरण में आयल छी , 
देखु हम पड़लहुँ बीच भँवर , हे माय अहाँ बिनु आश ककर ?
काली - लक्ष्मी - कल्याणी छी , तारा - अम्बे - ब्रह्माणी छी ,
अछि पुत्र ' प्रदीप ' बनल टूगर , हे माय अहाँ बिनु आश ककर ?
                                         प्रभुनारायण झा ' प्रदीप '

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