बुधवार, 5 अप्रैल 2017

726 . दिअ दरशन करूशन करुणामयि , सुरमुनि ठाढ़ दुआर।


                                        ७२६
दिअ दरशन करूशन करुणामयि , सुरमुनि ठाढ़ दुआर। 
दास भवन होअ उत्सव , जगत जननि दरबार।।
मणिद्वीप सुवरनमय सुरतरु तर अभिराम। 
रतन वेदि मणिमण्डप तुअ शुभ शोभाधाम।।
कखन देखब भरि लोचन , मूरति परम ललाम। 
प्रणत चरन युग सेवब , करब अनेक प्रणाम।।
ब्रह्मा हरिहर जेहि भज , आनक ककर हिसाब। 
कवि गणनाथ विनत भल , विनत मोदमय गाव।।  

कोई टिप्पणी नहीं: