सोमवार, 20 मार्च 2017

712 . दक्षिणकालिका ------- जय जय जननी जोति तुअ जगभरि , दक्षिण पद युत नामे।


                                      ७१२
                              दक्षिणकालिका
जय जय जननी जोति तुअ जगभरि , दक्षिण पद युत नामे। 
शिशु शशि भाल , पयोधर उन्नत , सजल जलद अभिरामे।।
विकट रदन , अतिवदन भयानक , फूजल मञ्जुल केशा। 
शोणितमय रसना अति लहलह , असृकमय  सृक देशा।।
तीन नयन अति भीम राव तुअ , शवकुण्डल दुहु काने। 
शव - कर - काटि सघन पाँती कय , चहुदिशि कटि परिधाने।।
शिव शवरूप उरसि तुअ पद - युग , सदा वास समसाने। 
फरेब कर रब चहुदिशि शोभित , योगिनिधन परधाने।।
श्रीकृष्ण कवि भन , तुअ अपरूप गति , के लखि सक जगमाता। 
मिथिला - पतिक मनोरथदायिनि , सचकित हरिहर धाता।।
                                                             श्रीकृष्ण  

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