सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

679 . छिन्नमस्ता -- नाभिकमल बिच बीच अरुणरुचि राजित दिनमणि बिम्बे।


                                  ६७९ 
                           छिन्नमस्ता 
नाभिकमल बिच बीच अरुणरुचि राजित दिनमणि बिम्बे। 
ता पर योनि चक्र पर रतियुत मन्मथ कर अवलम्बे।।
रति विपरीत ऊपर तुअ पदयुग कोटि तरुण रवि भासे। 
काटल सिर कर वाम प्रकाशित दक्षिण काति प्रकाशे।।
दिग अम्बर कच फूजल निज शिर काटल शोणित पीबे। 
बाल दिवाकर रुचिर कान्ति लस लोचन तीनि सुभावे।।
तीनिधार वह रक्त उरध भय मध्यधार निज मूखे। 
दुइ दिस योगिनि पिबत धार दुइ अति आनन्दित भूखे।।
तडितलोल युगलोचन रसना कटकट दसन सहासे। 
विषधर माल शत्रु शिर मालिनि सुरपालिनि द्विष नासे।।
विधि आदिक सुर तुअ पद सेवक प्रचण्ड चण्डिका देवी। 
अचिन्त्यरूप तुअ जगत जोतिमय योगीन्द्रादिक सेवी।।
उत्पत्ति स्थिति सहति कारिणि तीनि रूप गुण माया। 
तीनिलोक मह सभ घट वासिनि करिय अहोनिसि दाया।।
जगतजननि तोहे जगत वेआपित नारि पुरुषमय आनी। 
आदिनाथ पर कृपायुक्त भय दाहिनि रहिय भवानी।।  

कोई टिप्पणी नहीं: