सोमवार, 2 जनवरी 2017

651 . सब सकल देवि मोर कृत दोष हे। नै करिय सुरसरि शिशु पर रोष हे।।


                                      ६५१ 
सब सकल देवि मोर कृत दोष हे। नै करिय सुरसरि शिशु पर रोष हे।
तुअ बल केवल ह्रदय भरि पोष हे। धयल शरण सुनि सुजस सुबोध हे।
की करत सञ्चित अनन्त रत्नकोष हे। की करत पामर सहसतत तोष हे।
करू करू गंगा देवी मोरा निरदोष हे। चन्द्र मन हो निराश यम कोप चोष हे।
                                                   ( चन्द्र रचनावली )

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