शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

626 . श्रीबगलामुखी - जय बगलामुखि अमृत सिन्धु बिच मणि मण्डप निधि देवी।


                                ६२६ 
                        श्रीबगलामुखी 
जय बगलामुखि अमृत सिन्धु बिच मणि मण्डप निधि देवी। 
ता बिच रत्न सिंहासन ऊपर तुअ पद लस भय भेदी।।
पीत वसन तुअ पीत विभूषण पीत कुसुममय माला। 
फूजल चिकुर निकर दुइ लोचन दुखमोचनि हरबाला। 
वाम हाथ रिपु रसन रक्तमय दहिन गदा अभिरामा। 
अनुगत जन जयकारिनि सुररिपु मर्दिनि पूरनकामा।।
कुण्डल लसित गण्ड मण्डल युग चण्ड भानु युग जोती। 
विपति विदारिनि रिपु मद हारिनि दन्त विराजित मोती।।
श्रीमिथिलेशक करू जय देवी पुरित करू सभ आसे। 
रत्नपाणि गोचर करू भगवति करू मम ह्रदय निवासे।।
                                                         ( तत्रैव )

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