बुधवार, 19 अगस्त 2015

538 . सरकार के चिंतन से भी अब डर लगता हैं

                                    यादें 
               ( बेटे उज्जवल सुमित का जन्म दिन )
५३८ 
सरकार के चिंतन से भी अब डर लगता हैं 
उनका निर्णय तो हमारी जान ही निकाल देता है 
कल प्रधानमंत्री का R T I पर चिंतन सुना 
सुन कर दिल का दर्द हो गया दूना 
लोग हैं कहते सरकार बनाती है कानून 
ताकि कोई बच न पाये 
पर ये हैं चाहते कि कोई कुछ जान न पाये 
बड़ा दर्द हैं वो दर्शाते 
काश जो ये कानून न बना पाते 
दिन रात का जीना हो गया है हराम 
सुचना के अधिकार से छुप नहीं पा रहा उनका कोई काम 
अपने चिंतन से वो बहुत चिंतित हैं 
कैसे नेस्त नाबूद हो ये कानून 
इसी उधेड़ बुन में वो दिन रात रत हैं 
कानून का उदेश्य ही है पारदर्शिता और भ्रष्टाचार का निषेध 
इन दोनों शब्दों से है उन्हें परहेज 
भ्रष्टाचार से घिरी सरकार 
भला कैसे चाहेगी पारदर्शिता 
सपनो में भी इन्हे यही सताता 
कल न जाने हो जाये कौन सा खुलासा 
इसका एक ही इलाज उन्हें समझ में है आता 
काश ये कानून ही समाप्त हो जाता ?

सुधीर कुमार ' सवेरा ' १३ - १० - २०१२ 
८ - ०५ pm 

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