शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

527 . कितना महान निर्लज्ज हूँ मैं समझते हो

( बायें से विनोद भैया , भाभी , धर्म पत्नी जी और मैं )
 ५२७ 
कितना महान निर्लज्ज हूँ मैं समझते हो  
मैं गृह मंत्री हूँ देश का तुम कुछ कह नहीं सकते हो 
हम बोफोर्स को पचा गए तुम उसको भी भुला दिए 
फिर ये कोयला घोटाला तुम भला कितने दिन याद रखोगे 
हा हा हा हा कितने मजे में हम देश लूटते रहे 
तुम ख्वाबों खयालो में ही सोते रहे 
रावण सा अट्टहास ही आता है मुझे करना 
वो तो शुक्रिया मैडम का कि दलित हूँ इसलिए गृह मंत्री बना 
वर्ना देश का कोई कुत्ता भी मुझे नहीं पूछता हा हा हा हा
साबुन है ऐसा हमारे पास बस एक बार धोया सब साफ हा हा हा हा  !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' १६ - ०९ - २०१२ 
५ - ०० pm  

कोई टिप्पणी नहीं: