मंगलवार, 14 जुलाई 2015

513 . माँ तेरे लाखों बेटे

५१३ 
माँ तेरे लाखों बेटे 
मोह ममता मुझको लपेटे 
क्यों न देती दर्शन 
क्यों न होती हो प्रसन्न 
एक अकेला दोष बहुतेरा 
अपनी ममता का दे सहारा 
सबके मन की प्यास बुझाती 
क्यों न मुझको दर्शन देती 
दुनियाँ बहुत बड़ी है 
माया से भरी परी है 
भर कर मन में ज्ञान 
कर दे मेरा कल्याण !

सुधीर कुमार ' सवेरा '

कोई टिप्पणी नहीं: