गुरुवार, 21 मई 2015

491 . क्या मैं शरीर हूँ ?

४९१ 
क्या मैं शरीर हूँ ?
बहुत दयनीय असहाय हूँ 
औरों की तो बात छोड़ो 
त्रस्त हैं ……………………
अपने ही शत्रु से 
ईर्ष्या काम क्रोध से 
चींटी और मच्छर भी 
जब जिसे मौका लगता 
नोंच खसोट है खाता 
सत्य है यह……………………… 
मैं शरीर हूँ नहीं 
पीटे सर महाकाल भी
तो मेरा क्या बिगाड़ेगा 
मैं तो बेटा माँ का 
अजर अमर हूँ अविनाशी 
मृत्यु भी मेरा क्या कर लेगा ?

सुधीर कुमार ' सवेरा '  

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