मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

462 . मेरे मित्र मैं जब तुझसे मिला

४६२ 
मेरे मित्र मैं जब तुझसे मिला 
बोलो तुमने मुझको क्या - क्या दिया ?
सुनाकर तुमने इसकी उसकी सबकी निंदा 
देकर किसी को गाली किसी के गुण गाये 
किसीसे क्या गिला मन में रोष बसाया 
व्यर्थ में मुझको तुमपे क्रोध आया 
भरकर मुझमे द्वेष तुमने क्या पाया ?
मेरे मित्र !
तुमने कैसा किया यह प्रयत्न 
मैं जब तुमसे मिला बोलो क्या मिला ?

सुधीर कुमार ' सवेरा '

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