रविवार, 8 फ़रवरी 2015

392 . अम्बर से धरती तक

३९२ 
अम्बर से धरती तक 
चहुँ दिशाओं में 
छोर नहीं है अंत नहीं है 
चंदा भी लेकर तुझ से चाँदनी 
देती धरा पर शीतल रौशनी 
गायें जिसमे चकोर 
भरे दिल में हिलोर 
नहाये जिसमे धरा 
मन मेरा नाचे रे 
मैं तो गाउँ मगन में !

सुधीर कुमार ' सवेरा '

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