शनिवार, 17 जनवरी 2015

368 .ऐ मोहब्बत

३६८ 
ऐ मोहब्बत 
रंग तेरे बहुरंगे 
इंकार भी तूँ है 
इकरार भी तूँ है 
वफ़ा भी तूँ है 
बेवफ़ा भी तूँ है 
इंतजार भी तूँ है 
मिलन भी तूँ है 
और जुदाई भी तूँ है 
रूठना भी तूँ ही है 
शरमाना भी है 
तो मुस्कुराना भी है 
इठलाना भी तूँ ही है 
विश्वास भी तूँ है 
अविश्वास भी तूँ है 
पाना भी तूँ है 
तो त्याग भी तूँ ही है 
सपनो का संसार तूँ है 
तो सच्चाई भी तूँ ही है 
तूँ है एक 
पर रंग हैं तेरे अनेक 
भगवान का भैल्यू नहीं 
इंसान की पहचान नहीं 
कानून की भी सुनवाई नहीं 
पत्थर का भी अपमान रहा 
ईमान का देखवाई नहीं !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' २८ / २९ - १० - १९८४ 
५ - २० pm ११ - १० am 

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