शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

291 . दिल जिनसे लगा बेमुरब्बत से वो छोड़ गए !


२९१.

दिल जिनसे लगा बेमुरब्बत से वो छोड़ गए !
इंतजार की आखिर दवा मौत ही है !!

तुझसे दिल लगा कर इतना ही मिला !
जब आई तेरी याद आंसू निकल आये !!

शामिल नहीं है जिसमे तेरी मुस्कराहट !
वह जिन्दगी भी किसी जहन्नुम से कम नहीं !!

अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी याद से आंसू !
अभी छेड़ी कहाँ है दास्ताने जिन्दगी मैंने !!

बेवफाई को भी वफा समझा !
हमने जालिम तेरे ख़ुशी के लिए !!

अपनी तन्हाई व साये से लिपट कर सो गए !
रख के अपने दिल पे गम का पत्थर सो गए !!

सुधीर कुमार ' सवेरा ' १९ - ०६ - १९८४ 

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