गुरुवार, 8 अगस्त 2013

281 . कुछ लोग सिर्फ जान लेते हैं जहाँ में



२८१.

कुछ लोग सिर्फ जान लेते हैं जहाँ में 
और कुछ जान दे देते हैं इस जहाँ में 
फितरत उनकी भी कुछ ऐसी थी 
जो हम लुटे लुट गया जहाँ मेरा 
उन्हें हम बस याद करते रहे 
उन्हें रहा न याद मेरा 
हम करते रहे हुस्न की आत्मा से प्यार 
उन्हें मेरे जिस्म से ही था थोड़ा प्यार 
काश जो थोड़ी सी भी उनको पहचान पाते 
आज इस तरह न पछताते होते !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  ०४ - ०६ - १९८४ 
१० - १५ am राँची 

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