बुधवार, 3 अप्रैल 2013

243 . जो पत्तियों एवं साखों पर ही



२ ४ ३ .

जो पत्तियों एवं साखों पर ही 
तर्क - वितर्क करते रह जाते 
वो मूल तक नहीं पहुँच पाते हैं 
जो समुद्र किनारे बैठकर 
केवल समुद्र के गहराई के बारे में ही 
सोंचते रह जाते हैं 
वो मोती नहीं खोज पाते हैं 
दिल पाए जो अमृत रस उसे संगीत कहते हैं 
लहर लाये जो अंतर में उसी को गीत कहते हैं !

सुधीर कुमार " सवेरा " १ ४ - ० ३ - १ ९ ८ ४ 
१ ० - ० ० pm कोलकाता से समस्तीपुर 

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