सोमवार, 7 जनवरी 2013

196 . शशि सा शीतल सुन्दर नयन


196 .

शशि सा शीतल सुन्दर नयन 
करने दो इन्हें किसी का चयन 
जब नयनों के द्वार कोई आने लगे 
नयनों के द्वार खुले रखना 
मत बंद करो पलकों को 
कहने दो जो ये कहते हैं 
मन में तेरे जो भाव हैं 
जुबाँ से जो कह नहीं सकती 
उसको भी ये कह देती हैं 
मत बंद करो पलकों को 
नयनों के द्वार खुले रखना 
मृदु अधरों के मुस्कान को 
अधरों में ही समेटे रखना 
आने देना किसी पथिक को 
अधरों के द्वार खुले रखना 
नयनों के द्वार खुले रखना 
तेरे मन के सारे उलझन 
करते प्रकट तेरे ये नयन 
मन तक पहुंचे हम 
नयनों के द्वार खुले रखना !

सुधीर कुमार ' सवेरा '   11-10-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

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