शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

125 . मैं खोना चाहता हूँ

125 .

मैं खोना चाहता हूँ 
यादों का वो झुरमुट 
मिलन का वो एहसास 
स्पर्श की वो अनुभूति 
भूलना चाहता हूँ 
हर वो पल 
गुजरे जो साथ उनके थे 
चाहता हूँ मैं यह मानना 
सच नहीं वो सपने थे 
माना वो गैर नहीं अपने थे 
जो कुछ हुआ वो सब सपना था 
अपना उनका अपना हुआ 
मैं तो जन्मों का बेगाना था
उनको क्या दर्द होगा 
जब दर्द ही उनका पराया था 
उन्होंने कब कहा ?
मैं उनका था 
सच कहा उन्होंने 
मैं ही झूठा था !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 07-12-1983 
चित्र गूगल के सौजन्य से  

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