मंगलवार, 31 जुलाई 2012

108 . जब होता है एकांत

108 .

जब होता है एकांत 
बन जाता है 
मेरे लिए काल 
कयोंकि 
तब होती है 
यादों की बरसात 
आँसुओं से भिंग जाते हैं 
तन मन और प्राण 
सब कुछ पाकर 
सब कुछ खोना 
है एक एहसास अपना 
हर पल तब 
मौत से भी गहरा 
उठता है इक दर्द 
मरना तो बहुत है आसान 
पर हर पल 
इस दर्द का एहसास 
सौ जन्मों तक मरने के है समान !

सुधीर कुमार ' सवेरा '

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