बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

19. कांटे , पतझर , शीशम , गुलाब ,


19-

कांटे ,
पतझर ,
शीशम ,
गुलाब ,
सभी हैं वक्त के साथ 
वाह रे वक्त तेरा जबाब नहीं 
तिल को तार नहीं 
राई को रस्सी नहीं 
बूंद को सागर नहीं 
किया तो क्या किया ?
याद रखूंगा मैं भी तुझे 
    क्या - क्या न तुने किया 
मन न भड़ा तो पेट पीठ एक कराया 
अब चूस लिया तुने 
छोड़ा क्या जो छोड़ा ओ भी ले 
उफ न करूँगा आह न भरूँगा 
भर जाए तेरा मन 
बस इतनी दुआ 
मैं रब से करूँगा ! 

सुधीर कुमार ' सवेरा '            ०३-०३-१९८०    

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