बुधवार, 28 दिसंबर 2011

8. ऐ मेरे बेगाने दिल


8-
ऐ मेरे बेगाने दिल 
चल - चला - चल तूं कहीं 
जहां न हो अहम् 
चल - चलाचल तूं वहीँ 
रास न आएगा तुझको यहाँ 
खुद परस्ती हो जहां 
खुद को लेकर गाये जा 
हरदम तूं मुस्कुराये जा 
भले ही तूं समझे सबको अपना 
कोई नहीं समझेगा तुझको 
मिलेंगे ऐसे जैसे हो कोई तुम सपना 
खुदगर्ज ये दुनियावाले 
क्या समझेंगे तेरे दिल का रोना 
कहने को सब कहेंगे अपना
पर एक पल को भी नहीं समझेंगे 
तोड़ चलेंगे सब नाते रिश्ते 
प्यार मोहब्बत वादे किस्से
जहाँ देखेंगे अपना काम निकलते 
हकीकत की दुनिया में 
नहीं है कोई प्यार के रिश्ते 
सभी हैं काम और नाम के रिश्ते 
दिल में अमृत रख कर भी 
बने रहोगे तुम बिलकुल तुच्छ 
गर हो तुम कुछ 
तभी होगी तुम्हारी पूछ 
इसलिए सिख लो तुम भी 
कुछ चापलूसी की बातें अभी 
मक्खन लगाने की कला में
हो जाओगे तुम निपुण जभी 
देखो तब ततछन सुनेंगे तुम्हारी बात सभी 
कहेंगे तुम को सब अच्छे
पर वास्तव के अच्छे 
तोड़ चलेंगे ये धागे कच्चे 
इस दुनिया में जीना है
तो सुन लो मेरी बात 
बातों से काम निकालो
करो हजारों विश्वासघात 
पर ऐ मेरे बेगाने दिल 
चल - चला - चल तूं कहीं 
जहां न हो ऐसे वहमी !

सुधीर कुमार ' सवेरा '                   १०-०९-१९८०      

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